Saturday 25 August 2012

how a man do?


किसी मनुष्य के  दिल मे दुसरे के  लिए बनी  जगह, उसके  विचार , उसका व्येबहार, उसकी फीलिंग्स बड़ी ही गजब चीज होती है|
 ये चीजे उसके सामर्थ्ये,  उसकी सोच को बदल देती है |
                                                  ऐसा क्यों होता है कि कल तक जो इंसान निकम्मा था, उसको वो काम करना अच्छा नही लगता था पर फिर बही उस काम मे धुरेंधेरो को भी पीछै छोड़ देता है|
 प्रत्येक  इंसान  को  अपने  अच्छे  बुरे  का  ज्ञान  होता  है| पर  फिर  वो  क्यों  अच्छा नही  कर  पाता|  किन्तु   किसी  चहेते की  बात  उसके  मन को  लग जाती  है| और  वो  उस  काम   को  बड़ी आसानी  से  कर  देता  है|
 
क्यों  कल  तक   खराब  मार्क्स  लाने  वाला  student अचानक  टोपर   बन  जाता  है | और  दूसरी  तरफ  एक  टोपर  अचानक  ही  फ़ैल  हो  जाता  है| फिर  उसका  पढाई   मे  मन  नही  लगता|
           
इस  परिब्र्त्न की  एक  बजह  होती  है . प्रतीयेक इंसान   मे  एक  अदभुत चीज  होती  है ..आत्मशक्ति ..
इंसान  की  आत्मशक्ति   उसके  सरीर  रूपी  hardware मे  एक  saftware की  तरह   होती  है|

जिसकी  प्रोग्रामिंग   होती  है| हमारे  बाताबरण   से ,हमारे  प्रति  दुसरो  के  ब्यबहार  से , दुसरो  के  कहे कथनों (सबसे  ज्यादा  इसे  प्रभाबित  करती  है . उस  ब्यक्ति  की  कही बात  जो  हमारे  जीवन  मे  सबसे  ज्यादा  महत्ब   रखता  है | जिससे  हमारी  भाबनाये जुडी  होती  है |) से
                   ये वो  चीजे  होती  है  जो  दुसरो  के  दुआरा होती  है| जो  ब्यक्ति  का  अपना होता  है | वो  होता  है | उसका  विवेक .( हालांकि   ब्यक्ति  का  विवेक  भी  बहारी  दुनिया  से  प्रभाबित  होता  है | और  इसकी  सामर्थ्ये  ब्यक्तियो  के  अनुभबो(Experience) 
पर  निर्भेर  करती  है| ).
                             दुसरो  से मिली   चीजे  हमारी  आत्मशेक्ति  को  प्रबल ( strong) भी  बना  सकती   है  और  कमजोर  भी|

 
ये  चीजे  ब्यक्ति को  उस  काम  को  करने  के  लिए  मजबूर  केर  देती  है |  परन्तु  ब्यक्ति  का  
विवेक  उसकी  आत्मशक्ति  को  strong बना  देता  है| फिर  वो  बही
 करता  है  जो  उसके  लिए  अच्छा  होता  है |